Friday, May 29, 2020

कोरोना का क़हर जिस तरह अमरीका , रशिया , इटली या फ़्रान्स या फिर Europe के दूसरे देशों में देखने को मिला वैसा क़हर इस देश में नही , mortality rate भी काफ़ी बेहतर है और आगे भी रहगा ये मैं पूरे यक़ीन के साथ कह सकता हूँ !
मैं डॉक्टर नही मगर ये ज़रूर जानता हूँ के इस देश में आधे से ज़्यादा लोग गंदा पानी , unhygenic खाना खा कर ज़िंदा हैं , एक छोटा सा उदाहरण दे कर अगर समझाया जाए तो ऐसा समझिए के हर साल हज़ारों को डेंगू होता है , मेरे मोहल्ले में भी होता है , मगर विश्वास करिए आज तक कोई नही मरा मेरे इलाक़े से ; लेकिन यश चोपड़ा बेचारे डेंगू की भेंट छड़ गए !
यानी ये बीमारी उनके लिए ज़्यादा ख़तरनाक साबित होती है जिनको ऐसी चीज़ों की आदत नही !
इस देश में किसी भी रेल्वे स्टेशन पर आप को लोग नलके से पीने का पानी भरते दिख जाएँगे , रेल में दिए भोजन से कई बार cockroach और lizard निकली है , कोई मरा ? अरे भैया रेल्वे स्टेशन पर जब ₹ १० रुपय का “जनता आहार” को खा कर कोई नही मरा तो विश्वास कीजिए कोरोना से तो मारेगा ही नही ...
अब सोचिए अमेरिका के राष्ट्रपति जब भारत आए तो अपने पीने का पानी भी साथ लाए थे ; मगर हम बिंदास muncipality के नलको का पानी पी रहे हैं , कुछ हुआ ?
90 % से जयदा लोग जिनको कोरोना हो रहा है वो बिना किसी दवा और इलाज के ठीक हो जा रहे हैं , कैसे ? क्यूँ के हमको आदत है , कोरोना से ज़्यादा बर्बादी तो सांप्रदायिक दंगे में होती है इस देश में ....
इस कोरोना का नही सांप्रदायिकता का इलाज ढूँढिए देश का भला होगा !